कहते हैं कि “एक सेहत हजार नेमत” अर्थात यदि हम पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं तो यह हमारे लिए किसी भी धन दौलत और संपत्ति से भी बढ़कर है।
यहां पूर्ण रूप से स्वस्थ होने से तात्पर्य, केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ होना नहीं है, बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ होना हैं। हमारा मन ही यदि अस्वस्थ हैं तो तन के स्वास्थ्य का कोई लाभ नहीं है।
आज के इस आपाधापी के जीवन में हर कोई मानों हमेशा घोड़े पर सवार रहता है।हर किसी को यहां जल्दी है। हर कोई यहां बहुत कुछ पा लेना चाहता है। किसी को जीवन में बहुत नाम कमाना है,तो किसी को बहुत पैसा कमाना है। कोई अपना प्यार हासिल करना चाहता है, तो कोई केवल शोहरत का ही भूखा है।
आज इंसान की आकांक्षाओं ने महत्त्वाकांक्षाओं का रुप ले लिया है। और इसी वजह से हर किसी में दूसरे व्यक्ति को पीछे छोड़ने की होड़ लगी है। और इसी प्रतिस्पर्धा की वजह से, वह अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही अपना मानसिक स्वास्थ्य खोता जा रहा है। और यह निश्चित ही उसके लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है।
दोस्तों, कामयाबी हासिल करने के लिए ,चाहे वो किसी भी चीज में हो, हमें मेहनत तो करनी ही पड़ेगी,और इसमें कोई दो राय भी नहीं है। परंतु किसी चीज को हासिल करने के लिए आप अपना स्वास्थ्य तो दांव पर नहीं लगा सकते हैं ना।
दोस्तों,आपने डिप्रेशन,ये नाम तो जरूर सुना होगा। डिप्रेशन एक मानसिक बिमारी है जिसका सीधा संबंध हमारे मस्तिष्क से है, क्योंकि हमारे मस्तिष्क में कुछ ऐसे रसायन पाए जाते है, जो कि हमारे शरीर के दूसरे अंगों और मस्तिष्क के बीच में संबंध स्थापित करने में सहायक होते हैं।
और यदि इन रसायनों की कमी हो जाती है तो हममें डिप्रेशन नामक इस बिमारी के लक्षण उभर आते हैं।
इसमें व्यक्ति के व्यवहार और रहन सहन में जमीन आसमान का बदलाव आ जाता हैं। स्वभाव चिड़चिड़ा और बदमिजाज हो जाता है। और इस अवस्था में ही अक्सर वो ऐसी गलतियां या हरकतें कर बैठता है जो उसे नहीं करनी चाहिए। कुछ लोग तो स्वयं को या दूसरों को हानि तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं।
आज से बस कुछ ही वर्षों पहले तक तो डिप्रेशन के विषय में ना तो कभी ज्यादा बोला जाता था और ना ही सुना जाता था। परंतु आज लगभग हर सौ खबरों में से एक खबर तो ये जरूर होती है कि फलां व्यक्ति ने डिप्रेशन की वजह से अपनी जान दे दी। और जान देने वालों में अधिकतर छोटे बच्चे,और जवान ही होते हैं।
आखिर क्यों लोग इसकी चपेट में आ रहें हैं? आखिर ऐसी कौन-सी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती होगी,कि इंसान अपनी जान तक देने को तैयार हो जाता है।
इन सभी सवालों का एक ही जवाब है,हमारा मानसिक स्वास्थ्य। क्योंकि, जब इंसान मानसिक रूप से कमजोर हो तभी वह इस प्रकार का कदम उठा लेता है।
तो दोस्तों, हमारे साथ भी कहीं ऐसी ही परिस्थितियां उत्पन्न न हो, इसके लिए हमें अपने आप में कुछ आवश्यक परिवर्तन लाने होंगे, और अपनी मानसिकता को भी बदलना पडेगा,जिससे हमारा मानसिक स्वास्थ्य अच्छा बना रहे। यदि हम किसी बात से परेशान हैं तो इन कुछ बातों पर जरुर गौर करें-
सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह कि उच्च महत्वाकांक्षा ना पालें। क्योंकि सबसे ज्यादा दुःख सपने टूटने पर ही होता है। सपने जरुर देखे पर एक हद के अंदर रहकर।
दूसरा,आप हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों के करीब ही रहे और खुद का नजरिया भी सकारात्मक ही रखें। अपने आसपास का माहौल भी पोजिटिव बनाए रखने की कोशिश करें।
कोई भी दुख, पछतावा,खुशी आदि की भावना अपने मन में ना रखें उसे सबके साथ ना सही, मगर किसी ऐसे व्यक्ति के साथ बांट लें, जो आपको समझता हो जिससे आपका मन हल्का हो सके।
कभी कभी लगातार मिलने वालीअसफलता के साथ ही कई लोग अचानक मिल गई सफलता को भी नहीं संभाल पाते हैं, क्योंकि बरसों इंतजार के बाद मिलने वाली सफलता भी इंसान को बैचैन कर जाती है। इस स्थति से बचें।
दूसरों की अच्छी स्थिति या कामयाबी को देखकर जलने से आप केवल अपने आप को ही तकलीफ़ पहुंचा रहे हैं, जिससे आपके मन में ही तनाव उत्पन्न होगा।तो बजाय दुःखी होने के आप अपनी कमजोरियों को जाने।
यदि मन कुछ ज्यादा ही अशांत है तो योगा और मेडिटेशन का सहारा ले। इससे आपका मानसिक स्वास्थ्य जरुर अच्छा रहेगा।
और ध्यान रखें,यदि तनाव बढ़कर डिप्रेशन की स्थिति उत्पन्न हो गई हैं तो इसका इलाज जरुर करवाए।
डिप्रेशन या अवसाद एक मानसिक बिमारी जरुर है, परंतु इसे पागलपन से जोड़कर ना देखे और प्रोपर ट्रिटमेंट जरुर लें। इसका इलाज बिल्कुल संभव है।
ऐसे ही कई और भी कारण और निवारण हैं। परंतु यदि हम उपरोक्त बातों का ही ध्यान रख लें तो, हमें खुद को संपूर्ण रुप से, अर्थात शारीरिक और मानसिक रूप से, स्वस्थ रखने में सफलता अवश्य ही मिलेगी।
धन्यवाद ?
One reply on “विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2020”
Nice one. Positive thinking, meditation undoubtedly helpful.